एक प्यासा कौआ पानी की तलाश में दर दर भटक रहा था. आख़िर उसे उम्मीद नज़र आयी, एक घड़ा दिखा जिसमें पानी के आसार थे. अफ़सोस घड़े का मुंह छोटा था और पानी गहरा, लिहाज़ा कौआ प्यास न बुझा सका. कौआ चतुर था, विचार किया और एक तरक़ीब सूझी. उसने एक एक कर पत्थरों के टुकड़े घड़े में डालने शुरू किये, इस उम्मीद में के पानी उठ जाएगा. अफ़सोस ऐसा नहीं हुआ, पानी पत्थरों ने सोख लिया. अंततः कौए के हाथ एक गीले पत्थरों से भरा घड़ा रह गया.
ज़िन्दगी निहायत ही संजीदा शै है. .....
अगर यर सोच है की कोई उदार और कुशल तानाशाह आयेगा और हमारी समस्याओं का चुटकी में निदान कर देगा तो ये सोच बेबुनियाद है. संभावना ज्यादा है के वह अपनी जेब भरेगा और चलता बनेगा.
Wednesday, December 08, 2010
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Dawn
By Kali Hawa I heard a Bird In its rhythmic chatter Stitching the silence. This morning, I saw dew Still incomplete Its silver spilling over...
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