कहते हैं एक तसवीर हज़ार शब्दों के बराबर होती है और मुंबई क़त्ले आम के संदर्भ में तो एडवार्ड मुन्ग्क (Edvard Munch) के यह तसवीर अनगिनत अल्फाज़ बयान करती है। तसवीर का शीर्षक है 'चीख' (The Screem)। क्या कुछ और कहने की ज़रूरत है?
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Dawn
By Kali Hawa I heard a Bird In its rhythmic chatter Stitching the silence. This morning, I saw dew Still incomplete Its silver spilling over...
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शिशिर कणों से लदी हुई कमली के भीगे हैं सब तार चलता है पश्चिम का मारुत ले कर शीतलता का भार भीग रहा है रजनी का वह सुंदर कोमल कबरी भाल अरुण किर...
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प्राचीन काल में वितस्ता नदी के तट पर ऋषिवर मुंडकेश्वर, 5000 गाय सहित, एक विशाल आश्रम में रहते थे । अनेक ऋषि और सैकड़ों विद्यार्थी वहां रह ...
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इंसान बाज़-औक़ात शर्मिंदा हो जाता है ऐसी बातों से जिसमें उसका कोई कसूर नहीं होता मसलन लोग अपनी ग़रीबी पर ही शर्मिंदा महसूस करते हैं जब कोई अम...
1 comment:
मुझे तो कला कीज़्यादा समझ है नहीं, बड़े चित्रकार ने बनाया है तो चित्र कलात्मक ही होगा. चित्र ब्लॉग पर लाने के लिए धन्यवाद.
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