Wednesday, October 08, 2008

आख़िर बाबर मरा कैसे?

कल का शेष ..........

यह सुन वह आश्चर्य में डूब गया, अनायास ही उसके मुंह से शब्द निकल पड़े, "अल्लाह तुम सर्वशक्तिशाली हो, जो भी इस कायनात में होता है तुम्हारे इशारों से होता है। सम्पुर्ण ब्रह्मांड तुम्हारे निर्देशों से ही चलता है। उद्देश्य के बिना घटनाओं का रैंडम होना हमें भौचक्का कर देता है और सम्पुर्ण संसार को तर्कहीन!"

"यह तो तुम विचित्र सा कारण बताते हो, खैर इस विषय में बाद में, लेकिन उस सूरत में हुमायूँ की बिमारी का कई वैध कारण होगा! आखिर इस अव्यवस्था में भी कुछ व्यवस्था तो होगी? अल्लाह के कार्य सनक में तो नही होंगे? "

"आपकी बुद्धि पर सवाल उठाने वाला मैं कौन होता हूँ! ज़रूर कोई कारण होगा जिस वजह से हुमायूँ बीमार है। आप दयावान हैं और आप में क्षमा करने का सामर्थ भी है।"

"और उस कारण का क्या होगा अगर अल्लाह तुम्हारी प्रार्थना स्वीकार कर ले?"

"निश्चित ही कारण का समाधान तो होना ही चाहिए। किसी को आगे आ कर कारण निरस्त करना होगा, चूंके कारण मुझे ज्ञात नही है पर परन्तु परिणाम निश्चित रूप से हुमायूँ की मृत्यु नज़र आती है लिहाज़ा मैं स्वयं को मृत्यु के लिए प्रस्तुत कर रहा हूँ।"

"तुम तो कर्म को इस तरह प्रस्तुत कर रहे हो मानो वह हस्तांतरणीय हों और अगर मान भी लिया जाए के ऐसा सम्भव है तो क्या यह असमान विनिमय न होगा।"

"असमान? क्यूँ परवरदिगार!"

"तुम वृद्ध हो जबके हुमायु युवा है दोनों की जीवन शैली में ज़मीन असमान का फर्क है। तुम एक वृद्ध की छोटी उम्र एक युवा की लम्बी उम्र से बदलना चाहते हो!"

"यह सत्य है, परवरदिगार। लेकिन इस विसंगति के लिया आप चाहें तो मेरी मृत्यु उतनी ही दर्दनाक बना दें।"

"यह तो बहुत ही दिलचस्प है। भला पीडा जीवन की अवधि और क्वालिटी की क्षतिपूर्ति कैसे कर सकती है? इंसान की पीडा उसका अपना ही कृत्य है, और दर्द मात्र एक मनःस्थिति है शरीर को होने वाले शंकट से आगाह करने वाला अलार्म। तुम तो ऐसा दिखा रहे हो मानो अल्लाह कोई क्रूर ज़मींदार हो जिसे मनुष्यों को दुःख देने में, उन्हें ज़लील करने में आनंद आता है?

"दया करो मेरे प्रभु! मैंने ऐसा कभी नही सोचा। आध्यात्मिक संसार में सुख देने वाली वस्तुओं का महत्व नही है लेकिन यही वस्तु भौतिक जगत में जब विनिमय में इस्तेमाल होती हैं तो दुःख का सृजन करती हैं। मै तो सिर्फ़ भौतिक और अध्यात्मिक संसार में एक समानांतर देख रहा था। चूंके दुःख और पीडा हर सौदे का आम पहलु है इसलिए मैंने सोचा के अपने पुत्र को जीवित देखने का संतोष और मेरी अपनी पीडा शायद बराबरी का सौदा है।"

"यह तो हास्यास्पद है। सांसारिक एक्सचेंजों में वस्तुओं का हस्तांतरण होता है और चूंके दोनों पार्टी एक दुसरे की वस्तु का अलग अलग मूल्य निर्धारित करती है इसलिए तो सौदा होता है। यही सिद्धांत अमूर्त एक्सचेंज में भी लागु होता है। भला किसी को दर्द में क्या दुर्लभता नज़र आएगी?

"सर्वशक्तिमान प्रभु, मुझ में आप से तर्क करने की क्षमता नही है। हम इंसान भावुक होते हैं और भावुकता में ही अक्सर काम करते हैं। तर्क वैसे भी सापेक्ष रूप में ठीक लगते हैं क्यूंकि यह इस बात पर निर्भर करता है की आप का ज्ञान कितना है आप में उन्हें प्रस्तुत करने का कितना कौशल है। मैं आप से कैसे मुक़ाबला कर सकता हूँ? हमारे लिए पीड़ा बलिदान का प्रतीक है। मेरे पास जो है वही मै प्रस्तुत कर रहा हूँ इसलिए सर्वशक्तिमान उसे स्वीकार करें!

"तुम तो अपनी कब्र ख़ुद ही खोद रहे हो। इंसान भी अजीब है, अगर उन्हें सुखी कर दें तो यह उन्हें अविश्वसनीय लगता है, वास्तविकता वे दर्द और पीडा से महसूस करते हैं। वे आसान और साधारण को जटिल व्याख्या में परिवर्तित कर ब्रह्मांड में स्वयं के महत्व देने की चेष्टा करते हैं। "

"ओह दयालु अल्लाह, मैं अपने बेटे की जान के बदले में जान देना चाहता हूँ मौत नही तलाश रहा हूँ!"

"अल्लाह! मुझे अल्लाह मत कहो। मैं अल्लाह नहीं हूँ।"

"मैं आप को किस नाम से पुकारों?"

"तुम क्यों नहीं समझते, मैं अल्लाह या भगवान या कुछ भी अलौकिक नहीं हूँ। मैं स्वयं तुम हूँ, तुम्हारी छवि, तुम्हारा अवचेतन स्वरुप। मैं तुम्हारा अहम् तुम्हारी स्वतंत्र आत्मा हूँ। तुम्हारा बेटा शायद फिर भी ठीक हो जाए लेकिन अगर तुमने मुझे न पहचाना तो तुम अवश्य ही मारे जाओगे, हुमायूँ चाहे जिंदा रहे या न रहे।"

अजीब बात हुई। यह चमत्कार नहीं था, लेकिन सिर्फ एक रैंडम घटना, हुमायूं के शरीर ने रोग के विरुद्ध आवश्यक एंटीबौडी पैदा कर ली। एक बार यह हो गया तो फिर उसे ठीक होने में देर न लगी। इसी समय बाबर का क्षय शुरू हो गया। उसे अल्लाह के हस्तक्षेप पर परम विशवास था लिहाज़ा मस्तिष्क ने kill संकेत भेजना शुरू कर दिया। एक एक कर उसके अंगों ने काम करना बंद कर दिया अंततः बाबर स्वयं ही चल बसा।

* * *

No comments:

Dawn

By Kali Hawa I heard a Bird In its rhythmic chatter Stitching the silence. This morning, I saw dew Still incomplete Its silver spilling over...