Wednesday, May 22, 2024

ख़ा'ब - 2

 मेरे हाथ में एक पारदर्शी कांच का चौकोर बॉक्स था और मैं सड़क के किनारे खड़ा था। कोई 40 गज पर चौराहा था, जिस तरफ मैं खड़ा था उसी तरफ चौराहे के ठीक पहले एक जर्जर मकान था । हर आने जाने वाले शख्स से मैं कहता ये बॉक्स उस जर्जर मकान तक पहुँचा दो । लेकिन वो मुझे देखते और फिर बॉक्स कि तरफ और यकायक ही खौफ से पीछे हट जाते । ये सिलसिला कुछ देर चला फिर मैंने देखा के बॉक्स में कुछ इंसानी हड्डियाँ हैं, मुझे महसूस हुआ वो मेरी ही हड्डियाँ हैं और मेरा कोई जिस्म ही नहीं । 

उस वक़्त मुझे ख़याल हुआ, 'मौत कि हक़ीक़त अगर मा'लूम हो जाए तो क्या कोई जी सकेगा ?'

    

फिर मैं उठ गया ।


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