Monday, September 29, 2008

लंगड़ा फाटक !

लखनऊ में एक जगह है लंगड़ा फाटक !

भारत में रेलवे क्रॉसिंगों प्रायः दो प्रकार की होती हैं। एक तो बहुत ही साधारण पीले और काले रंग के पोल पर कंघी की तरह झालर लटकी हुई होती है जो के एक काउंटर वेट की वजह से ऊपर सीधा तना रहता है। एक रस्सी द्वारा इसे खींच कर नीचे लाने से सड़क ट्रैफिक के लिए बंद हो जाती है। यह तो हुआ ज्यादातर इस्तेमाल होने वाला गेट। दूसरा कुछ ज्यादा ग्लैमरस गेट होता है यानि 'स्विंग गेट्स'। इस्पात का बना भरी भरकम गेट शुरआत में तो अच्छा काम करता है लेकिन जल्दी ही अपने वज़न की वजह से इसका फ्री छोर झुक जाता है नतीजतन अगर इसे खोला जाए और छोड़ दें तो गुरुत्व की वजह से स्वयं ही बंद हो जाता है। यहाँ तक तो फिर भी गनीमत है लेकिन समय के साथ गेट और झुक जाता है और फ्री छोर ज़मीन छू लेता है। अब तो गेटकीपर की शामत ही आ जाती है। उसे गेट बहुत ताकत लगा कर खोलना पड़ता है और जब हाथ गेट से हटता है तो गेट बड़ी देर तक 'vibrate' होता रहता है। मेरी स्मृति में ऐसे अनेक क्षण हैं जब मैंने 'वेस्पा' स्कूटर पर बैठे, अधीर हो गेटकीपर को बड़ी मेहनत से गेट घसीटते हुआ बंद करते देखा है और जिद्दी वक्त था के घिसटने का नाम ही नही लेता। दरअसल उस जगह का नाम 'लंगडा फाटक' इस वजह से नही हुआ के गेट घसीटना पड़ता था बल्कि वहां का गेटकीपर ही लंगडा था। उसे तो रिटायर हुआ एक ज़माना बीत गया है शायद वह अपनी कब्र में बेखबर सो रहा हो इस तथ्य से अनजान के वह 'लंगडा फाटक' पर सदा के लिए अमर हो गया है.

4 comments:

seema gupta said...

वह 'लंगडा फाटक' पर सदा के लिए अमर हो गया है.
"shandaar jankaree"

Regards

Anonymous said...

manyavar langra fatak jiske nam per hai uska ek pair train durghatna me me kat gaya tha aur vah sajjan bahut mashhur the bachoo ka jhad fook se ilaj bhi
karte the mera chota bhai jo amerika me vagyanik hai uska bhi kabhi ilaj kiyatha.us vyakti ko aalambag me kafi mana jata tha.mera bachpan kabhi isi fatak ke kinare vale bangle me gujra hai.

Kali Hawa said...

अम्बरीशजी जानकारी के लिए शुक्रिया. मैंने 'लंगडा फाटक' देखा नही है बस एक बार मेरे भाई (जो के लखनऊ में रहते हैं) ने बात बात में ज़िक्र किया था के लखनऊ में कुछ अटपटे से नाम हैं मसलन 'लंगडा फाटक' और 'टेढी इमली'. नाम मेरे ज़ेहन में रह गया और ये किस्सा बयान कर दिया. कभी वक्त मिला तो 'टेढी इमली' की दास्तान भी सुना दूंगा.

काली हवा

Udan Tashtari said...

रोचक ....

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