Saturday, May 17, 2008

साया

साया बेचेहरा होता है
जज़बात भी नही
बेआवाज़ भी
कोई साया चुरा ले
हम बेलिबास हो जाते हैं
नरगिस* भी एक साया था
मौत का साया
दबे पाँव आया
क़ज़ा रक़्स हुआ
और ख़ामोश चला गया
नरगिस से क्या शिकवा?
७७००० हलाक हुए
७००० नरगिस कि बाहों में
७०००० हुकूमत ने क़त्ल किए

अहंकार

 कृष्ण गन्धवह बड़ा हुआ और पिता की आज्ञा ले कर देशाटन  को निकल गया।  मेधावी तो था ही शास्त्रार्थ में दिग्गजों को पराजित कर, अभिमान से भरा  वह ...