Tuesday, November 18, 2008

अहम् ब्रह्म आष्मि!

दरअसल यह सही है उतना ही जितना यह संसार सत्य है। हर एक व्यक्ति इस विश्व का केन्द्र है। विश्व हमारी सोच का प्रतिबिम्ब मात्र है। गौर करें:

हर ज़र्रा चमकता है अनवार ऐ इलाही से
हर साँस ये कहती है, हम हैं तो ख़ुदा भी है!

या यूँ कहें "हम हैं तो ये विश्व भी है"

मूल्यांकन

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