कल
वह जो नीली आंखों वाला बादल
घूम रहा था
आसमान में बस्ता लेकर
कभी इधर कभी उधर
और हवा की उंगली पकडे
जूते मुंह से खोल रहा था
पीपल के पत्तों से जाने
किस भाषा में बोल रहा था
उस कहना कल फिर आए
मुझे छांव के गीत सुनाये
मई उसे लौलीपॉप दूंगा!
अज्ञात
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