यहाँ एक बूढा दरख्त हुआ करता था,
रस्सी से बंधा तख्ता झूला बन जाता
बारिश थमने पर बचों का झुण्ड चला आता
वे खेलते, झूलते और झगड़ते
यहाँ तक के कमीजें फट जाती
अब ऐसा नही है
शीशे का आलीशान फ़रोख्त का स्टोर है
बच्चे भी आते हैं और झगड़ते हैं
पर अब कमीजें नही फटती,
बहस होती है
बात बढ़ जाने पर माँ बाप झगड़ते हैं
उसके बाद उनके वकील जिरह करते हैं
सौंप, बिच्छू और मेंढक नही हैं
साबुन से धुले कुत्ते हैं
लोहे के पिंजरे मैं एक दरख्त भी है
वो दरख्त एकदम सीधा उठ रहा है
और उसके फूल-पत्ते शायद गेंदनुमा होंगे
दूर से वो लोलीपॉप जैसा नज़र आयेगा
शायद सबसे अच्छे दरख्त का क्लोन
एक स्टील का दरख्त!
पर मुझे फिर भी जाने क्यूँ
कुदरत का वो बेढब दरख्त याद आता है
काली हवा
Saturday, September 27, 2008
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Dawn
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4 comments:
यहाँ एक बूढा दरख्त हुआ करता था,
रस्सी से बंधा तख्ता झूला बन जाता
बारिश थमने पर बचों का झुण्ड चला आता
वे खेलते, झूलते और झगड़ते
यहाँ तक के कमीजें फट जाती
अब ऐसा नही है
khoobsurat
अब ऐसा नही है
शीशे का आलीशान फ़रोख्त का स्टोर है
बच्चे भी आते हैं और झगड़ते हैं
पर अब कमीजें नही फटती,
" trees ke jgeh jub aaleshan buildings ne le lee ho to yhee nazara hoga jo aapne byan kiya hai, steel ke drakth... very well said"
Regards
Thanks ladies for appreciating what flows spontaneously ……………
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