बक़ौल मीर तकि. मीर ....
"आलम किसू हकीम का बाँधा तिलिस्म है
कुछ हो तो ऐतबार भी हो कायनात का "
[माया किया है इस पर कई उपनिषद में चर्चा हुई है कितने ही ऋषि मुनियों ने टीका की है फिर भी आम तौर पर माया को मतिभ्रम ही समझा जाता है। हम भी यही मान कर चलेंगे……. ]
एक मासूम कमसिन का क़त्ल हुआ है
हर सू इसका चर्चा है
टीवी हो अखबार या फिर ब्लॉग्स
या सोशल मीडिया, अटकलों का बाज़ार गर्म है
क़त्ल कैसे हुआ, किसने किया, क्यों किया
एक्सपर्ट्स अपनी राय का इज़हार कर रहे हैं
मानो कोई novel पर बहस हो रही हो
ये कोई noir फिल्म डिस्कस की जा रही है
हर ख़बर जंक फ़ूड की तरह हज़म की जा रही है
एक ज़िन्दगी बुझ गयी है
वह दर्दनाक लम्हा किस क़दर खिंच गया होगा
महसर के शोर में डूब गया होगा
उस कमसिन की आँखों में
हैरत और डर किस तरह घुलमिल रहे होंगे
ये बहस का मुद्दा नहीं है
दरअसल जिसका हमसे वास्ता नहीं
वो हक़ीक़त नहीं है , माया है
कागज़ पर लिखा नाम है
मिटा सकते है
आतिश के सुपुर्द कर सकते हैं
फिर अफ़सोस किस बात का
आखिर एक नाम ही तो मिट गया है
- मुख्तलिफ
"आलम किसू हकीम का बाँधा तिलिस्म है
कुछ हो तो ऐतबार भी हो कायनात का "
[माया किया है इस पर कई उपनिषद में चर्चा हुई है कितने ही ऋषि मुनियों ने टीका की है फिर भी आम तौर पर माया को मतिभ्रम ही समझा जाता है। हम भी यही मान कर चलेंगे……. ]
एक मासूम कमसिन का क़त्ल हुआ है
हर सू इसका चर्चा है
टीवी हो अखबार या फिर ब्लॉग्स
या सोशल मीडिया, अटकलों का बाज़ार गर्म है
क़त्ल कैसे हुआ, किसने किया, क्यों किया
एक्सपर्ट्स अपनी राय का इज़हार कर रहे हैं
मानो कोई novel पर बहस हो रही हो
ये कोई noir फिल्म डिस्कस की जा रही है
हर ख़बर जंक फ़ूड की तरह हज़म की जा रही है
एक ज़िन्दगी बुझ गयी है
वह दर्दनाक लम्हा किस क़दर खिंच गया होगा
महसर के शोर में डूब गया होगा
उस कमसिन की आँखों में
हैरत और डर किस तरह घुलमिल रहे होंगे
ये बहस का मुद्दा नहीं है
दरअसल जिसका हमसे वास्ता नहीं
वो हक़ीक़त नहीं है , माया है
कागज़ पर लिखा नाम है
मिटा सकते है
आतिश के सुपुर्द कर सकते हैं
फिर अफ़सोस किस बात का
आखिर एक नाम ही तो मिट गया है
- मुख्तलिफ
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